Showing: 1 - 8 of 16 Articles
ग़लत को ग़लत क्या बता दिया
हिन्दी Poetry

ग़लत को ग़लत क्या बता दिया

By Aditi ग़लत को ग़लत क्या बता दियानजरों से सबकी उतर गए हम कल तक थे जो गहरे रिश्ते नातेआज हो गए हैं बेजान वो …

Sabse khatarnak poem by Paash
Avtar Singh Sandhu 'Pash' हिन्दी Rights

सबसे ख़तरनाक | Sabse Khatarnak

‘सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना / तड़प का न होना / सब कुछ सहन कर जाना / घर से निकलना काम पर/और काम से लौटकर घर आना’