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ग़लत को ग़लत क्या बता दिया
हिन्दी Poetry

ग़लत को ग़लत क्या बता दिया

By Aditi ग़लत को ग़लत क्या बता दियानजरों से सबकी उतर गए हम कल तक थे जो गहरे रिश्ते नातेआज हो गए हैं बेजान वो …

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बाबा की बिटिया

By Aditi वो कोमल नन्ही कली बाबा के आंगन कीउसके नन्हे पांवों को बाबा होठों से चूमा करते थेकंधे पर बिठाकर उसको पूरा गांव घुमाया …

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है हंसी झूठी मेरी

By Anuradha Rani नज़रों को बयां करने नहीं देतीहै दर्द का समुंदर पर बहने नहीं देतीकट रही है ज़िंदगीसांसे भी कर्ज़दार हैंग़़ुलाम हूं बस इंतज़ार …

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बेजान कमरा

By Aditi सिमट गई हैं यादें सारीदीवारों की तस्वीरों पर खाली कमरा बेजान-साबेरंग-सी उसकी दीवारें अरमानों से भरी कभीउस कमरे की दीवारें थीं तन्हाईयों का …