‘जीवन तरस गया उजले उजाले देखने को /
अफसोस क़फ़स में कोई खिड़की नहीं है
Hindi Poem

ग़लत को ग़लत क्या बता दिया
By Aditi ग़लत को ग़लत क्या बता दियानजरों से सबकी उतर गए हम कल तक थे जो गहरे रिश्ते नातेआज हो गए हैं बेजान वो …

दुआ करुंगी
By S. Aarfa Khalique दुआ करुंगी ख़ुदा से,ये दूरियों का सिलसिला यूं ही बरक़रार रहे,करके जो गया था ज़ख्मी मुझे,वो अपनी ही दुनिया में आबाद …

बाबा की बिटिया
By Aditi वो कोमल नन्ही कली बाबा के आंगन कीउसके नन्हे पांवों को बाबा होठों से चूमा करते थेकंधे पर बिठाकर उसको पूरा गांव घुमाया …

आखि़र इंसान हूं मैं
By Yash Bhopte कौन था मैं ! कौन हूं ! इस प्रश्न से मैं मौन हूं,इसका मुझे उत्तर मिला, राही को जैसे घर मिला।जीवन की …

है हंसी झूठी मेरी
By Anuradha Rani नज़रों को बयां करने नहीं देतीहै दर्द का समुंदर पर बहने नहीं देतीकट रही है ज़िंदगीसांसे भी कर्ज़दार हैंग़़ुलाम हूं बस इंतज़ार …

बेजान कमरा
By Aditi सिमट गई हैं यादें सारीदीवारों की तस्वीरों पर खाली कमरा बेजान-साबेरंग-सी उसकी दीवारें अरमानों से भरी कभीउस कमरे की दीवारें थीं तन्हाईयों का …