रचनाकार : रघुवीर सहाय तोड़ो रघुवीर सहाय तोड़ो तोड़ो तोड़ोये पत्थर ये चट्टानेंये झूठे बंधन टूटेंतो धरती को हम जानेंसुनते हैं मिट्टी में रस है जिससे …
Raghuveer Sahay
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वसंत आया
कवि : रघुवीर सहाय जैसे बहन ‘दा’ कहती हैऐसे किसी बँगले के किसी तरु (अशोक?) पर कोई चिड़िया कुऊकीचलती सड़क के किनारे लाल बजरी पर …