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Sabse khatarnak poem by Paash
Avtar Singh Sandhu 'Pash' हिन्दी Rights

सबसे ख़तरनाक | Sabse Khatarnak

‘सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना / तड़प का न होना / सब कुछ सहन कर जाना / घर से निकलना काम पर/और काम से लौटकर घर आना’