By Rekha Khanna

मैं लिख रही हूंँ किरदार कोई
शायद ज़िदा मिल‌ जाए कहीं
हर शख़्स मुर्दा है भीतर से
किरदार में जान भरे कोई कैसे
ना ख़ुशी लिखी गई ना दुःख लिखा
बस किरदार मुझे बेजान मिला।
मैं लिख रही हूंँ किरदार कोई
उसमें भरने के लिए
क्या मुझे कहीं से जान मिलेगी थोड़ी?

बहुत सोचा कि किरदारों में
खिलखिलाने वाले रंगों को भर दूंँ
पर मन मुताबिक रंगों को
ख़ुद-ब-ख़ुद बदल कर काला बनते देखा
असमंजस में हूँ कि क्यों
रंग ख़ुद-ब-ख़ुद रहें हैं बदल
कोशिश पर कोशिश मेरी हो रही है असफल।
मैं लिख रही हूंँ किरदार कोई
उसमें स्थाई रंग भरने का
क्या तरीका मुझे बताएगा कोई?

जिंदगी से भरपूर लिखे थे
लेकिन मायूसियों में लिप्त मिले
जाने कहांँ खुशियांँ खो गई
जाने कहाँ उम्मीदें पँख लगा कर उड़ गई
क्यूँ मायूसियाँ इतनी बदसूरत हैं?
आंँखों में आँसूओं की नमी की सीलन है
और होंठों पर दुःख की पपड़ी बन जम गई हैं।
मैं लिख रही हूंँ किरदार कोई
खुशियों की खदान कहांँ हैं
क्या वहांँ का रस्ता मुझे बताएगा कोई ?

सुलझी हुई राहेँ लिखी थी
पर हर कोई ख़ुद में ही उलझा है
ढूँढ रहा है ख़ुद को ख़द के भीतर
भटक रहा एक अनजान डगर पर
भूलभूलैया में सब ग़ुम हैं
सीधी राह क्या इतनी मुश्किल है?
चौराहों पर खड़े हैं असमंजस में
किस ओर है मंज़िल
अनजान लोगों से पूछ रहें हैं।
मैं एक किरदार लिख रहीं हूंँ
चौराहों को मंजिलों का रस्ता दिखाना है
दुविधाएं दूर कर, सीधी राह बताएगा कोई?

किरदारों को लिखते लिखते
मैं ख़ुद उनमें उलझ गई हूँ
हर कोई चीख रहा है
मुझसे अनगिनत सवाल कर रहा है
लिखना क्या था और लिखा क्या है?
क्या किरदारों को लिखने की समझ नहीं है?
एक सूत्र में बांँधना सबको
क्या इतना मुश्किल है?
मैं किरदार लिख रहीं हूंँ कोई
सूत्रधार को खोज रही हूँ
सूत्रधार का असली अर्थ, क्या बताएगा कोई?

रेखा खन्ना दिल के एहसासों को शब्दों में ढाल कर पन्नों पर उकेरने करने की कोशिश करती हैं।


Subscribe !NS¡GHT to never miss out on our events, contests and best reads! Or get a couple of really cool reads on your phone every day, click here to join our InstagramTwitter and Facebook.

Leave a Reply

%d bloggers like this: