Top 20 Shayari
दुनिया में जितनी लानतें (निन्दनीय आचरण) हैं, भूक उनकी माँ है।
SAADAT HASAN MANTO
ग़ुस्सा जितना कम होगा उस की जगह उदासी लेती जाएगी।
MUSHTAQ AHMAD YUSUFI
हर हसीन चीज़ इन्सान के दिल में अपनी वक़्अत (अहम्मीयत) पैदा कर देती है। ख़्वाह इन्सान ग़ैर-तर्बीयत याफ़्ता ही क्यों ना हो?
SAADAT HASAN MANTO
अच्छे उस्ताद के अंदर एक बच्चा बैठा होता है जो हाथ उठा-उठा कर और सर हिला-हिला कर बताता जाता कि बात समझ में आई कि नहीं।
MUSHTAQ AHMAD YUSUFI

शायरी का आला-तरीन फ़र्ज़ इन्सान को बेहतर बनाना है।
PREMCHAND

क़ौमों को जंगें तबाह नहीं करतीं। कौमें उस वक़्त तबाह होती हैं, जब जंग के मक़ासिद बदल जाते हैं।
INTIZAR HUSSAIN
जो चीज़ मसर्रत-बख़्श (ख़ुशी देने वाली) नहीं हो सकती, वह हसीन नहीं हो सकती।
PREMCHAND
ताज महल उसी बावर्ची के ज़माने में तैयार हो सकता था जो एक चने से साठ खाने तैयार कर सकता था।
INTIZAR HUSSAIN
अफ़्साने का मैं तसव्वुर ही यूँ करता हूँ जैसे वो फुलवारी है, जो ज़मीन से उगती है।
INTIZAR HUSSAIN
हर मतरूक (अप्रचलित) लफ़्ज़ एक गुमशुदा शहर है और हर मतरूक उस्लूब-ए-बयान (शैली) एक छोड़ा हुआ इलाक़ा।
INTIZAR HUSSAIN

क़दीमी (प्राचीन) समाज में अफ़्साना होता था, अफ़्साना-निगार नहीं होते थे।
INTIZAR HUSSAIN
अदब इंक़लाब नहीं लाता बल्कि इंक़लाब के लिए ज़हन को बेदार (सचेत) करता है।
AALE AHMAD SUROOR
ग़ज़ल हमारी सारी शायरी नहीं है, मगर हमारी शायरी का इत्र ज़रूर है।
AALE AHMAD SUROOR
क़ौम और क़ौमी ज़िंदगी मिट रही है और हम हैं कि हिन्दी-हिन्दी और उर्दू-उर्दू किए जा रहे हैं।
FIRAQ GORAKHPURI

फ़न की वजह से फ़न्कार अज़ीज़ और मोहतरम होना चाहिए। फ़न्कार की वजह से फ़न नहीं।
AALE AHMAD SUROOR

तन्हाई का एहसास अगर बीमारी न बन जाये तो उसी तरह आरज़ी (क्षणिक) है जैसे मौत का ख़ौफ़।
SYED EHTISHAM HUSAIN
हम कितने और किस क़िस्म के अल्फ़ाज़ पर क़ाबू हासिल कर सकते हैं, इसका इंहिसार (दारोमदार) इस बात पर है कि हमें ज़िंदगी से रब्त (संपर्क) कितना है।
MOHAMMAD HASAN ASKARI

ज़माने की क़सम आज का लिखने वाला ख़सारे में है और बे-शक अदब की नजात इसी ख़सारे में है। ये ख़सारा हमारी अदबी रिवायत की मुक़द्दस अमानत है।
INTIZAR HUSSAIN
ज़बानें मुर्दा हो जाती हैं, लेकिन उनके अल्फ़ाज़ और मुहावरे, अलामात और इस्तिआ’रात नई ज़बानों में दाख़िल हो कर उनका जुज़ बन जाते हैं।
SYED SIBTE HASAN

अदब में नुक़्ता-ए-नज़र का मस्अला मेरे लिए दीन की सी हैसियत रखता है।
ASIF FARRUKHI
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