20 बेहतरीन रोमांटिक शायरी
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा
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हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
क़तील शिफ़ाई
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मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए
कृष्ण बिहारी नूर
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शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को
मैं देखता रहा दरिया तिरी रवानी को
शहरयार
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पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा
बशीर बद्र
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दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया
जोश मलीहाबादी
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तुम क्या जानो अपने आप से कितना मैं शर्मिंदा हूँ
छूट गया है साथ तुम्हारा और अभी तक ज़िंदा हूँ
साग़र आज़मी
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बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर
पलकों से लिख रहा था तिरा नाम चाँद पर
अज्ञात
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हँस के फ़रमाते हैं वो देख के हालत मेरी
क्यूँ तुम आसान समझते थे मोहब्बत मेरी
अमीर मीनाई
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मुझे तो क़ैद-ए-मोहब्बत अज़ीज़ थी लेकिन
किसी ने मुझ को गिरफ़्तार कर के छोड़ दिया
शकील बदायुनी
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एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है
इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता
जावेद नसीमी
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महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है
बशीर बद्र
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क्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँ
ऐ चाँद बता किस से तिरी आँख लड़ी है
साहिर लखनवी
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क़ब्रों में नहीं हम को किताबों में उतारो
हम लोग मोहब्बत की कहानी में मरें हैं
एजाज तवक्कल
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दिल से उठता है सुब्ह-ओ-शाम धुआँ
कोई रहता है इस मकाँ में अभी
अंजुम रूमानी
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शाम होते ही चराग़ों को बुझा देता हूँ
दिल ही काफ़ी है तिरी याद में जलने के लिए
अज्ञात
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सुपुर्द कर के उसे चाँदनी के हाथों में
मैं अपने घर के अँधेरों को लौट आऊँगी
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जाती है धूप उजले परों को समेट के
ज़ख़्मों को अब गिनूँगा मैं बिस्तर पे लेट के
शकेब जलाली
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तुझ से बिछड़ूँ तो तिरी ज़ात का हिस्सा हो जाऊँ
जिस से मरता हूँ उसी ज़हर से अच्छा हो जाऊँ
अहमद कमाल परवाज़ी
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दिल सुलगता है तिरे सर्द रवय्ये से मिरा
देख अब बर्फ़ ने क्या आग लगा रक्खी है
अनवर मसूद
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तुम मिटा सकते नहीं दिल से मिरा नाम कभी
फिर किताबों से मिटाने की ज़रूरत क्या है
अज्ञात
20 बेहतरीन रोमांटिक शायरी
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