हमसफ़र

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By Shalini Singh

ना जाने तुम क्या हो, किस मोड़ पर कहां हो,
फिर भी मुझे तुमसे इकरार है,
हाँ, मैं दिल से कहती हूं, मुझे तुमसे प्यार है।

तुम हिस्सा हो भविष्य का,
परछाई नहीं हो अतीत की,
शामिल भी नहीं हो वर्तमान में,
फ़िर भी तुमपर ऐतबार है,
हाँ, मैं दिल से कहती हूं, मुझे तुमसे प्यार है।

अंजान हैं एकदूसरे से, पहचान कुछ भी है नहीं,
सोचेंगे सब अब संग तेरे, अरमान कुछ अब है नहीं,
ना जानकर भी तुझको, अब ये दिल तो तुझपे आया है,
हाँ, मैं दिल से कहती हूं,
मैंने तुम्हे हर रूप में अपनाया है।

तुम हो सफ़र के हमसफ़र अब, जान लो ये बात बस,
लिखा जो क़िस्मत का ये लेखा,
उसे ही अपना बनाया है,
हाँ, मैं दिल से कहती हूं,
मैंने तुम्हे हर रूप में अपनाया है।

Shalini Singh, from Maharashtra, India, is a student and loves to write poetry.

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