दायरे

Rate

By Shalini Singh

कितने अजीब होते हैं ये दायरे भी,
जो कभी दो दिलों को मिला कर जुदा कर देते हैं,
या कभी दो दिलों को मिलने से रोक देते हैं।

ज़िंदगी में हर चीज़ का अपना एक सबब,
और अपनी एक रवानी है,
पर दायरों मे लिपटी चीजों की,
कुछ अलग सी ही कहानी है।

बड़े अजीब होते हैं ये दायरे भी,
कहने को तो सिर्फ तीन अक्षर हैं,
दो मात्राओं के संग,
फ़िर भी इनका वज बेमिसाल है,
प्यार के ढ़ाई अक्षर की तरह,
इसका रुतबा भी कमाल है।

बड़े अजीब हैं ये दायरे भी,
जो मन की मनमर्जियों को रोक देते हैं,
कुछ बेड़ियों मे बाँध कर,
थक जाता है हर इश्क़ भी,
इन दायरों के आगे हारकर,
हैं ना, कितने अजीब ये दायरे!

Shalini Singh, from Maharashtra, India, is a student and loves to write poetry.

1 Comment

Leave a Reply

Discover more from !NS¡GHT

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue Reading

%d