नारी

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By Rekha Khanna

“नारी” — क्या मतलब है “नारी” शब्द का ? कभी सोचा है औरत के लिए नारी शब्द का इजाद कैसे हुआ होगा ? मैंने बहुत बार सोचा और जितनी बार सोचा बस एक चीज़ ध्यान में आती रही। पता नहीं कितनी ग़लत और कितनी सही हूंँ मैं।

जब कभी एक बेटी ने अपनी ख्वाहिशों को ज़ाहिर करना चाहा, तो माँ ने उसे कहा,
“ना… री, लड़कियों को अपनी ख्वाहिशों को जीने का हक़ नहीं।”

जब भी औरत ने अपनी आवाज़ उठाकर अपने ख़िलाफ़ होने वाले जुल्म को ख़त्म करना चाहा, तो परिवार ने कहा,
“ना… री, समाज की रवायत के खिलाफ कोई बात नहीं करनी।”

जब भी औरत ने अपने लिए जीना चाहा, तो समाज ने कहा,
“ना… री, औरत का जन्म ही दूसरों के लिए जीने के लिए हुआ है।

जब भी औरत ने अपने पंख लगा कर ऊंचे आसमां में निर्विघ्न उड़ना चाहा, तब तब लोगों ने उसके पांव पकड़ कर नीचे खींचते हुए कहा
“ना… री,‌ यूं उड़ना तेरे नसीब, तेरे हक़ में नहीं।

हर काम में, हर पल, हर वक़्त औरत यही सुनती आई है,
“ना … री”। सदियों से शायद ये दो शब्द सुनते-सुनते औरत की पहचान ही “ना… री”, यानी की “नारी” पड़ गई।

Rekha Khanna tries to mold feelings into words, each time pouring a new passion on the paper.

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