जुदाई

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By Saba

सुबह से आज धड़कन कुछ दबी सी है
दिल में कभी बेचैनी कभी बेकरारी है

आपके जाने के बाद हर लम्हा हर घड़ी
बस आपकी यादों के साथ ही गुज़ारी है

कल ही तो वो हसीन मुलाकातें बिताई
क्यूं आज दास्तान में हमारी जुदाई है

आख़िर कब वो औकात ए मुलाक़ात है
आख़िर कब तक नसीब में तन्हाई है

आपके बिना मानो ज़िंदगी रुक गई है
दिल में बस आपकी यादों की शहनाई है

ये कैसा इम्तेहान कैसी ये आजमाईश है
आख़िर क्यूँ ये ज़िंदगी इस मोड़ आयी है

ये दिल आपकी याद में बहुत ही रोता है
न जाने किस गुनाह की ये सज़ा पाई है

ये बड़ा दर्दनाक अकेलापन का क़ैद है
आख़िर कब आपके पास मेरी रेहाई है

Saba, from Telangana, is a student of B.Com first year.

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