By Abdul Rahman ‘Rahman Baandawi’

आयत-उल-अल्लाह सा चाँद आया आक़ा का आमद है लाया
हम गमख़्वारों को ख़ुशियाँ मनाने का मौक़ा है लाया

हर तरफ़ जहाँ में ख़ुशियों का माहौल है छाया
रौशनी ही रौशनी है और हर कोई है मुस्काया

अर्श से ता फर्श नूर ही नूर है छाया
हूर ओ ग़िलमा व फ़रिश्तों ने सल्ले अला है गाया

नबी ने हमको जीने का सलीक़ा है बतालाया
अबु-जहल की बंद मुट्ठी में संग-रेज़े को कलमा है पढ़ाया

शक़ किया क़मर को व शम्स को वापस है बुलाया
नबी ने अपनी उम्मत को जन्नत का रास्ता है बतलाया

सल्ले अला का नारा लबों पर जब जब है आया
जश्ने आमदे रसूूल की रौनक में चार चाँद है लगाया

रब ने अपने महबूब को जन्नत का वसीला है बताया
रहमान बाँदवी कर सदा नबी की सना, वक़्त क्यों करता है ज़ाया

Abdul Rahman, from Uttar Pradesh, India, is an Assistant Project Engineer whose passion is writing.

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